जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्य-विधाता,
पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा,
द्रविड़-उत्कल बंग,
विन्ध्य-हिमाचल-यमुना गंगा,
उच्छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।
यह राष्ट्रगान सम्मलेन में प्रत्येक शनिवार को गाया जाता है.
यह ब्लॉग नेतरहाट विद्यालय की यादों को समर्पित है. नेतरहाट को हम हाटियन न जाने कितने ही विविध रूपों में देखते आते हैं और वो सब कुछ हमारी भावनाओं में सदा प्रवाहित होता रहता है. नेतरहाट में हमने जीवन को जिन खूबसूरत बेहतरीन आयामों के साथ जिया था, उन्हें ही फिर से एक जगह सहेजने का यह लघु प्रयास है. आपके सुझाव यहाँ सादर आमन्त्रित हैं. raghav0435@gmail.com .... awanish413@gmail.com
Thursday, 3 December 2009
Tuesday, 1 December 2009
शारदा स्तुति
या कुन्देन्दु तुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ।
या वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना । ।
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिदेवैः सदा वन्दिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा । ।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमाद्यां जगद्व्यापिणीम् ।
वीणापुस्तकधारिणीं भयदां जाद्यान्धाकारापहाम् । ।
हस्ते स्फटिकमालिकां विद्धतीं पद्मासनेसंस्थिता ।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदां । ।
यह कुछ आश्रमों का मौनवेला मंत्र है।
या वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना । ।
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिदेवैः सदा वन्दिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा । ।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमाद्यां जगद्व्यापिणीम् ।
वीणापुस्तकधारिणीं भयदां जाद्यान्धाकारापहाम् । ।
हस्ते स्फटिकमालिकां विद्धतीं पद्मासनेसंस्थिता ।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदां । ।
यह कुछ आश्रमों का मौनवेला मंत्र है।
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