Thursday, 1 January 2009

नेतरहाट विद्यालय : एक परिचय

कहते हैं- जिस अट्टालिका की नींव जितनी गहराई में होती है, उसका कंगूरा उतना ही अधिक गगनचुम्बी एवं अडिग-अडोल होता हैनींव की ईंट जितनी बेहतर, कठोर, सत्यनिष्ठ और समर्पित होती है, कंगूरा उतना ही भव्य, दिव्य और आभामंडित होता हैनेतरहाट विद्यालय की नींव में हमारे स्वप्नदर्शी, उदात्त मानवीय मूल्यों के संरक्षक महामानवों की दिव्य परिकल्पनाएं हैं, आधुनिक एवं गुरुकुल की इन्द्रधनुषी शिक्षा की ऊँची उड़ान है और सर्वोपरि पराचेतस मन का आलोक स्फुरण "अत्तदीपा विहरथ"। आज जब हमारा विद्यालय अपने पचासवें स्वर्णिम पगनिक्षेप पर है, हम उन महामानवों का स्मरण, उनकी कीर्ति-रश्मियों को अपने मन प्राणों में संजोते हुए उनके प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित करते हैं। नींव की ईंट से कंगूरे तक का सफर अपने वैभव-अलंकरणों के साथ प्रस्तुत है-

No comments:

Post a Comment